एक किसान और उसके पोते की कहानी –
एक बार की बात है एक लड़का स्कूल की छूटियों में अपने दादा से मिलने गाँव गया वो अपने दादा जी के साथ गाँव घूमता और खेतों में काम करने के लिए भी जाता
एक दिन वो लड़का अपने दादा के साथ खेत में काम करने के लिए गया हुआ था तो दादा ने उससे शरत लगाई की चलो देखते है की खेत की जमीन को फसल की बुवाई के लिए कौन पहेले तैयार करता है
उन दोनों ने खेत की आदी – आदी जमीन बाँट ली और जमीन को नई फसलों की बुवाई के लिए तैयार करने लगे वो दोनों मिटी को खोद कर उसे पलट उसकी गाँठो को तोड़ रहे थे ताकि वो फसल की बुवाई के लिए तैयार हो जाए
दादा जी जिनकी उम्र 65 साल की थी वो बिना रुके और बिना किसी शिकायत के अपना काम कर रहे थे लेकिन वो लड़का जिसकी उम्र 17 साल थी वो अपने काम में बहुत शिकायत कर रहा था
वो बार बार रुक कर आराम कर रहा था और कह रहा था की कितना मुश्किल काम है लेकिन उसके दादा जी बिना रुके और बिना थके काम कर रहे थे
फिर जब शाम हुई तो लड़का देखता है की दादा जी ने अपने हीसे की सारी जमीन की बुवाई कर ली है और उनके हीसे की जमीन अब फसलों की खेती के लिए तैयार है लेकिन उसके हीसे की जमीन में अभी आधी जमीन का भी काम पूरा नहीं हुआ था
वो लड़का बहुत हैरान होता है की दादा जी ने इस उम्र में भी उससे ज्यादा काम कैसे कर लिया वो दादा जी के पास जाता है और उनसे पूछता है की अपने इतनी उम्र में इतना काम कैसे किया
तो दादा जी ने जवाब दिया की जब भी हम सोचते है की काम कितना मुश्किल है या फिर अभी कितना काम पड़ा है तो हमारा मन बहाने बनाने लगता है
इन सभी बातों के बारे में सोचना ही हमारे काम को और ज्यादा मुश्किल बना देता है इसलिए समझदारी इसमे ही है की हमे अपने तय की हुए काम के बारे में ज्यादा सोचना नहीं चाहिए और उस काम को करते रहना चाहिए